मागच्या आठवड्यात डॉ. इलीना सेन यांचे निधन झाले. त्या एक महत्त्वाच्या स्त्रीवादी अभ्यासक आणि कार्यकर्त्या होत्या. गेली काही वर्षे त्या वर्ध्यातील महात्मा गांधी हिन्दी विश्व विद्यालयात आणि नंतर मुंबईतल्या टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल सायन्सेस इथे women’s studies चे अध्यापन करीत होत्या. इलीना यांनी आदिवासींच्या मानवी हक्कांसाठीही छत्तीसगढ मधून अनेक वर्षे संघर्ष केला. विविध सामाजिक चळवळींमध्ये काम करणाऱ्या महिलांनी चळवळीच्या अंतर्गत असलेल्या पितृसत्तेला कशाप्रकारे आव्हान दिले आणि त्यातून स्वायत्त स्त्रीवादी चळवळीचा झालेला उदय – याविषयी त्यांनी A Space Within The Struggle या पुस्तकात मांडणी केलेली आहे. जेव्हा डॉ. बिनायक सेन यांना राष्ट्रद्रोहाच्या आरोपाखाली अटक झाली, त्यानंतर इलीना यांनी त्यांच्या सुटकेसाठी अविरत प्रयत्न केले. कदाचित त्यामुळे डॉ. विनायक सेन यांची पत्नी अशी त्यांची मुख्य ओळख बनून राहिली होती. इलीना यांची मैत्रीण आणि छत्तीसगड मधील ‘रूपांतर’ संस्थेच्या कामातील सहकारी भारती दिवाण यांनी त्यांच्याविषयीच्या काही आठवणी सांगितल्या आहेत.
भारती दिवाण सध्या मुंबईत महिला आणि मुलांसोबत जाणीव जागृतीचे काम करतात.
डॉ. इलीना सेन अब हमारे बीच नहीं रहीं यह खबर अलग अलग माध्यमों से मेरे पास आ रही थी| कॅंसर जैसी बीमारी में यह अपेक्षित ही था, फिर भी मैं कुछ क्षणों के लिये सुन्न रह गई| इलीना से मेरी पहचान कॉलेज के दिनों में हुई थी| होशंगाबाद का हमारा घर उन दिनों आस-पास के गांव और शहर के कार्यकर्ताओं का अड्डा हुआ करता था| उन दिनों डॉ. बिनायक सेन ‘फ्रेण्डस रुरल सेंटर’ होशंगाबाद में काम करते थे, इलीना उन्हीं के साथ एकाध बार हमारे घर आई थी| मुझे धुंदली सी याद है, कि इलीना से उन्ही दिनों मेरी पहली मुलाकात हुई थी|कॉलेज की पढाई के बाद मैं विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ काम करने लगी| उसी दौर में मेरा छत्तीसगढ़ भी जाना होता था| तब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा था| एक दिन मुझे इलीना का संदेश मिला, “मिलने आओ, बात करना है”| मैंने ‘हां’ तो कह दी, लेकिन अंदर से थोड़ी धुकपुक शुरु हो गई| इलीना सीनियर है, कई वर्षों से वह सामाजिक काम कर रही है, ‘छत्तीस गढ़ मुक्ति मोर्चा’ जैसे बड़े संगठन के साथ काम करने का अनुभव है, J.N.U. से Ph. D. की है और महिला मुद्दो पर लेख लिखती हैं, राष्ट्रीय स्तर के संगठनों/संस्थाओं से जुड़ी हैं आदी आदी - सभी डर और संकोच के साथ मैं इलीना से मिलने तिल्दा ( रायपुर के पास ) गई|
मेरी सारी धुकपुक, डर और संकोच पहले घंटे में ही खत्म हो गये| कुछ घंटे मिलने का तय करके भी मैं इलीना के साथ दो दिन रही| हमने दो दिन बहुत ही सहजता से विभीन्न विषयों पर बातचीत की और तय हुआ कि मैं इलीना को एक अध्ययन में मदत करुंगी| विषय मेरी भी रुचि का था, ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ और ‘ईसाई मिशनरीज’ का महिला शिक्षण में योगदान| हमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में स्थापित चर्च और आश्रम में जाकर बातचीत करना थी, आसपास के गांव में महिला शिक्षण का जायजा लेना था और विश्लेषण करना था| इस काम के करते हुये, इलीना से मेरी नई पहचान होती गई| इसी दौर में इलीना ने ‘रुपांतर’ की संकल्पना मेरे सामने रखी और तब से मैं ‘इलीना’ और ‘रुपांतर’ दोंनो से जुड़ गई| मैने इलीना के साथ पांच साल काम किया है| ये साल मुझे व्यक्तिगत रुपसे समृध्द करनेवाले थे | इलीना के साथ वैचारिक लेन-देन तो होती ही थी, इसके अलावा काम की बारिकियों को समझाना,प्रोत्साहित करना, गलतियों को बिना निराश किये बताना, हमेशा सकारात्मक सपोर्ट करना इलीना की खासियत थी| मैंने अभी तक जिन संस्थाओं के साथ काम किया था, वहां मेरे काम पहले से कोई और तय करता था, मगर इलीना हमें मुध्दे तय करने कि एक हद तक छुट देती थी| जरुरत पड़ी तो वह मार्गदर्शक की भूमिका निभाती थी| कभी कभी तो छोटे मोटे प्रोजेक्ट हम खुद बनाते थे, जो हमें आत्मविश्वास देता था| यह अनुभव मुझे पहले कभी नहीं हुआ था|
मेहनत से काम करना और आनंद लेना इलीना की खासियत थी| इसिलिये हमारे सारे कार्यक्रम ( मिटींग, कार्यशालायें, सेमिनार ) बिना सास्कृतिक कार्यक्रम पुरे नहीं होते थे| गाना आये या ना आये गाना चाहिये, नाच आये या ना आये नाचना ही चाहिये - यह हमारे कार्यक्रम की मुख्य गतिविधी थी| मध्यप्रदेश महिला मंच हमारा एक और मिला जुला कार्यक्रम था| महिला मंच में तमाम संस्थाओं की महिलाये व्यक्तिगत रुपसे जुड़ी थी| तब छत्तीसगढ़ म. प्र. का हिस्सा था| यह जो अनौपचारिक मंच है वो आज भी जिन्दा है| इलीना और डॉ. बिनायक सेन से मेरा भावनात्मक रिश्ता रहा है| मेरे कई सारे व्यक्तिगत निर्णयों में उन्होने मुझे सपोर्ट किया है| इन पांच सालों में और बाद में भी मेरे हर दुख और तनाव के दौर में उन्होने मुझे हिम्मत और सलाह दी है| पिछले कई साल इलीना के संघर्षमय रहे है और मुझे अपराधबोध है कि मैं इस दौर में इलीना के साथ पूरी तरह से खड़ी नही हो पाई| इसके बावजूद हम जब भी मिले अश्रूपूर्ण आंखो से गले मिले| इलीना ने कोई भी शिकायत नहीं की| इलीना चली गई, यह सुनकर आज मेरी आंखों में एक भी आंसू नहीं है, क्यो मुझे नहीं मालूम|
मेहनत से काम करना और आनंद लेना इलीना की खासियत थी| इसिलिये हमारे सारे कार्यक्रम ( मिटींग, कार्यशालायें, सेमिनार ) बिना सास्कृतिक कार्यक्रम पुरे नहीं होते थे| गाना आये या ना आये गाना चाहिये, नाच आये या ना आये नाचना ही चाहिये - यह हमारे कार्यक्रम की मुख्य गतिविधी थी| मध्यप्रदेश महिला मंच हमारा एक और मिला जुला कार्यक्रम था| महिला मंच में तमाम संस्थाओं की महिलाये व्यक्तिगत रुपसे जुड़ी थी| तब छत्तीसगढ़ म. प्र. का हिस्सा था| यह जो अनौपचारिक मंच है वो आज भी जिन्दा है| इलीना और डॉ. बिनायक सेन से मेरा भावनात्मक रिश्ता रहा है| मेरे कई सारे व्यक्तिगत निर्णयों में उन्होने मुझे सपोर्ट किया है| इन पांच सालों में और बाद में भी मेरे हर दुख और तनाव के दौर में उन्होने मुझे हिम्मत और सलाह दी है| पिछले कई साल इलीना के संघर्षमय रहे है और मुझे अपराधबोध है कि मैं इस दौर में इलीना के साथ पूरी तरह से खड़ी नही हो पाई| इसके बावजूद हम जब भी मिले अश्रूपूर्ण आंखो से गले मिले| इलीना ने कोई भी शिकायत नहीं की| इलीना चली गई, यह सुनकर आज मेरी आंखों में एक भी आंसू नहीं है, क्यो मुझे नहीं मालूम|


Very touching memories Bharatiji.We had known about Dr Ilina Sen as a great scholar but you introduced her as a great friend , coworker and guide through your write-up .Thanks Vandana for sharing this.
ReplyDeleteVery touching memory.Bharati you are fortunate to have such valuable memories.That is your wealth and strength.Thanx for sharing.
ReplyDeleteAnd you write so well. Hindi is indeed graceful and esteemed language.
ReplyDeleteThank you Sarita
DeleteVery profound and heart touching experiences. Thanks for sharing. I have known about ilinaji from my mother as a leader. She never shared all this. Thanks for vandana for posting this. Thank you Aai for sharing your experiences.
ReplyDeleteVery straight forward article .
ReplyDeleteI don't know personally Ilina ji but in practical you are like same supportive as she was with you. Bharti aunty
Thanks for sharing experience,❤
Bharati has done justice to Ilina's contribution as well as threw light on her way of functioning and dealing with the people she used work with. Ilina could never get angry but would given sufficient time to make her juniors decide their own projects and how to take them forward.Thanks Bharati for bringing out this aspect of her character.
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया। यह लेख लिखना मेरे लिए भी एक अद्भुत अनुभव था। मेरी कई पुरानी यादें ताजा हो गईं।
ReplyDeleteभारती, आपको सारी यादोंके बारे में विस्तृत रूप से लिखना चाहिये, यह एक बहुमूल्य डॉक्युमेंटेशन रहेगा|
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